कुंडली मे ग्रहो की स्थिति के समय-समय पर बदलते रहने के कारण बहुत से योगो का निर्माण होता है, जिनमे से कुछ शुभ होते है तो कुछ अशुभ और ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण कुंडली में दोष का भी निर्माण होता है, ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को अशुभ योग माना जाता है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कालसर्प दोष के लक्षण के बारे मे बताएँगे और साथ ही ये भी बताएँगे की कालसर्प दोष जैसे खतरनाक दोष से बचने के उपाय क्या-क्या हो सकते है। लेकिन सबसे पहले हमे ये जानना होगा की कालसर्प दोष क्या है और इसके कारण क्या होते है।
कालसर्प दोष क्या है?
कालसर्प दोष को ज्योतिष शास्त्र में एक अत्यंत अशुभ योग माना जाता है। यह तब बनता है जब कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में फंस जाते हैं, जिससे सर्प जैसी स्थिति बन जाती है। माना जाता है कि यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई तरह के कष्ट और बाधाएं लाता है।
ज्योतिष शास्त्र में काल के नाम से राहु को दर्शाया जाता है, जिसका अर्थ मृत्यु होता है और सर्प को केतु का अधिदेवता कहा जाता है, सर्प का अर्थ सांप होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को सांप का मुख और केतु को सांप की पूंछ माना गया है जिस किसी की कुंडली में काल सर्प दोष होता है उस व्यक्ति को बार बार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
कुंडली मे कालसर्प दोष के होने के कारण
किसी भी जातक की कुंडली मे कालसर्प दोष के परिलक्षित होने के मुख्य कारण निम्न है,
- पूर्व जन्म के कर्म: ज्योतिषियों का मानना है कि कालसर्प दोष पूर्व जन्मों में किए गए पापों या गलतियों का परिणाम है। जो की जातक को इस जन्म मे भुगतना होता है।
- पितृ दोष: यदि किसी व्यक्ति के पितृ नाराज हैं, तो कालसर्प दोष बनने की संभावना बढ़ जाती है। पितृ दोष तब होता है जब कोई व्यक्ति अपने पितरों का सम्मान नहीं करता है या उनके लिए आवश्यक कर्म नहीं करता है।
- ग्रहों की स्थिति: जब राहु और केतु कुंडली में एक दूसरे के विपरीत होते हैं और सभी ग्रह इनके बीच में स्थित होते हैं, तो कालसर्प योग बनता है। यह ग्रहों की स्थिति माना जाता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है, जिसके कारण जीवन में बाधाएं और कठिनाइयां आती हैं।
- काल सर्प योग के प्रकार: कालसर्प योग के 12 प्रकार होते हैं, और प्रत्येक प्रकार का अपना अलग प्रभाव माना जाता है।
- अन्य ज्योतिषीय पहलू: कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति की जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों और पहलुओं द्वारा भी प्रभावित होता है।
कालसर्प दोष के लक्षण क्या है?
कालसर्प दोष के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- कालसर्प दोष के निर्माण से जातक को एक ही समय पर शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति की रात को सोते समय अचानक नींद खुल जाती है, या फिर उसे डराबने सपने आते है और सपनों मे अक्सर साँप नजर आता है।
- कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को पारिवारिक कलह व रिश्तों में समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
- जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें संतान से जुड़े कष्टों का भी सामना करना पड़ता है।
- कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति मे बहुत से शारीरिक लक्षण देखने को मिलते है जैसे, बार-बार बीमार होना, ऊर्जा की कमी, अनिद्रा, सिरदर्द, त्वचा संबंधी समस्याएं, पेट संबंधी समस्या।
- कालसर्प दोष से ग्रस्त व्यक्तियों को अक्सर वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें धन कमाने में कठिनाई हो सकती है और वे अक्सर ऋण में डूबे रहते हैं।
- कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को नौकरी जाने का खतरा भी बना रहता है और उसे व्यवसाय मे हानी का सामना भी करना पड़ता है।
कालसर्प दोष के उपाय
कालसर्प दोष जैसे खतरनाक दोष के असर को कम करने के लिए आप नीचे दिए गए उपायो को अपना सकते है और कालसर्प दोष के असर को कम कर सकते है,
- कालसर्प दोष के असर को कम करने के लिए जातक को महामृत्युंजय मंत्र का नियमित रूप से जाप करना चाहिए क्योंकि ये मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इस मंत्र का जाप करने से जातक भगवान शिव को प्रसन्न कर सकता है।
- भगवान शिव की पूजा करना कालसर्प दोष से बचाव का एक प्रभावी उपाय माना जाता है।
- काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को मंदिर में जाकर रोजाना शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।
- कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को बहते पानी मे कोले के टुकड़ो को प्रवाहित करना चाहिए।
- कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए जातक को शनिवार के दिन पीपल पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए और इसके साथ ही पीपल की कम से कम 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
- गरीबों को भोजन, कपड़े, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करना कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए लाभदायक माना जाता है।
- मंगलवार को भगवान हनुमान की पूजा करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और सिंदूर का भोग लगाएं।
कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है ऐसे में जल्द से जल्द इसका निवारण होना बेहद जरूरी है। ऊपर दिए गए उपायो की मदद से आप कालसर्प दोष के असर को सिर्फ कुछ समय के लिए ही कम कर सकते है, कालसर्प दोष को कुंडली मे से हमेशा के लिए दूर करने के लिए आपको कालसर्प दोष निवारण पूजा करानी आवश्यक है।
कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन
कुंडली मे से कालसर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय कालसर्प दोष निवारण पूजा है, इस पूजा की मदद से आप इस दोष हमेसा हमेशा के लिए मुक्ति पा सकते है। अगर आप भी कालसर्प दोष से मुक्ति पाना चाहते है तो आपको भी उज्जैन मे कालसर्प दोष निवारण पूजा अवश्य सम्पन्न करानी चाइए।
उज्जैन को “महाकाल की नगरी” और “सिद्धों की नगरी” के नाम से जाना जाता है। यह भगवान महाकाल का पवित्र निवास स्थान है और हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यहां कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
पंडित शिव गुरु जी द्वारा उज्जैन मे कालसर्प दोष निवारण पूजा हेतु वर्ष भर लोग आते है और अपनी परेशानियों से मुक्ति पाते है, आप भी अगर कालसर्प दोष से परेशान है और अपने बिगड़े काम बनाने हेतु उज्जैन मे पूजा करना चाहते है तो अभी पंडित जी से बात करे और निशुल्क परामर्श ले।