अक्सर हम महसूस करते हैं कि घर में क्लेश रहता है या फिर हर रोज कोई न कोई नुकसान घर में होता रहता है। किसी भी शुभ कार्य को करने मे बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। घर में मन नहीं लगता एक नकारात्मकता की मौजूदगी महसूस होती है। इन सब परिस्थितियों के पीछे वास्तु संबंधित दोष हो सकते हैं। हम माने या न माने लेकिन वास्तु की हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका है, यह हर रोज हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा होता है। घर में मौजूद इन्हीं वास्तु दोषों को दूर करने के लिये जो पूजा की जाती है उसे वास्तु शांति पूजा कहते हैं। मान्यता है कि वास्तु शांति पूजा से घर के अंदर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं घर में सुख-समृद्धि आती है।
उपयुक्त पूजा के लिये स्वस्तिवचन, गणपति स्मरण, संकल्प, श्री गणपति पूजन, कलश स्थापन, पूजन, पुनःवचन, अभिषेक, शोडेशमातेर का पूजन, वसोधेरा पूजन, औशेया मंत्रजाप, नांन्देशराद, योग्ने पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, अग्ने सेथापन, नवग्रह स्थापन पूजन, वास्तु मंडला पूजल, स्थापन, ग्रह हवन, वास्तु देवता होम, पूर्णाहुति, त्रिसुत्रेवस्तेन, जलदुग्धारा, ध्वजा पताका स्थापन, गतिविधि, वास्तुपुरुष-प्रार्थना, दक्षिणासंकल्प, ब्राम्हण भोजन, उत्तर भोजन, अभिषेक, विसर्जन आदि प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। वहीं सांकेतिक पूजा में कुछ प्रमुख क्रियाएं ही संपन्न की जाती हैं जिन्हें नजरअंदाज न किया जा सके। लेकिन वास्तु शांति के स्थायी उपाय के लिये विद्वान ब्राह्मण से पूरे विधि विधान से उपयुक्त पूजा ही करवानी चाहिये।
हमारे द्वारा मूर्ति प्रतिष्ठा, यज्ञ, कालसर्प दोष, मंगलभात पूजा वास्तु शान्ति, नक्षत्र शान्ति, महामृत्युंजय जप, रुद्र अभिषेक दुर्गापाठ एवं तंत्र, मंत्र,यंत्र, जन्म पत्रिका, विवाह संस्कार समस्त कार्य वैदिक पद्धिति से सम्पन्न कराये जाते है |